भारतीय समयानुसार दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर आज चंद्रग्रहण शुरू हो गाया। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़क जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। और चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति कों कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस च्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा की रात्रि को घटित होता।
इस साल का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण
इस साल का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण आज शुरू हो गाया है, हालांकि इस अनोखे नजारे के सिर्फ आखिरी चरण को ही भारत में देखा जा सकेगा, क्योंकि ग्रहण के दौरान ज्यादातर समय चंद्रमा पृथ्वी के दूसरी ओर रहेगा।
नेहरू सेंटर के निदेशक अरविंद परांजपे के मुताबिक, चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो गया जबकि पूर्ण चंद्र ग्रहण 3 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 5 मिनट पर खत्म होगा, लेकिन अधिकतम ग्रहण 4 बजकर 24 मिनट पर देखा जाएगा और पूर्ण ग्रहण 4 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा और चंद्रमा 7 बजकर 4 मिनट पर छाया से बाहर आएगा।
इस साल का पहला चंद्रग्रहण 15 अप्रैल को हुआ था। दरअसल, चंद्रग्रहण पूर्णिमा की रात लगता है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते है। इस चंद्रग्रहण को देखने का सबसे अच्छा मौका उत्तरी अमेरिका के लोगों को मिलेगा। हवाई द्वीप ऑस्ट्रेलिया जापान समेत प्रशांत महासागर के ज्यादातर हिस्सों में भी पूर्ण चंद्रग्रहण का नजारा दिखेगा।
चंद्रोदय के समय देखी जा सकेगी ग्रहण की समाप्ति
आज (8 अक्टूबर, बुधवार) भारत के विभिन्न हिस्सों व अन्य देशों में खग्रास चंद्रग्रहण है। जिन स्थानों पर शाम 06 बजकर 04 मिनिट के पहले चंद्रोदय है, वहीं यह ग्रहण दिखाई देगा। यह ग्रहण मीन राशि में चंद्र व केतु की युति में है। ये दुर्लभ योग 74 साल बाद बना है। इस ग्रहण का असर देश-दुनिया में अलग-अलग रूप से देखने को मिलेगा।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार 8 अक्टूबर को मीन राशि में खग्रास चंद्रग्रहण 74 साल बाद हो रहा है। इसके पहले ये योग 15 अक्टूबर 1940 में बना था। उस समय भी ग्रहण के समय मीन राशि में चंद्रमा व केतु की युति बनी थी। पूर्णिमा तिथि, व्याघात योग, रेवती नक्षत्र आदि के आधार पर 74 साल पहले भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। ग्रह गोचर में इस प्रकार की स्थितियों में विशेष परिवर्तन देखा जाता है। मीन राशि में खग्रास चंद्रग्रहण व सूर्य तथा राहु का कन्या राशि पर ग्रहण युति संबंध बन रहा है। इस दृष्टि से मीन व कन्या राशि पर ग्रहण का विशेष प्रभाव रहेगा।
जानिए कहां-कहां दिखेगा चंद्रग्रहण
भारत के डिब्रूगढ़ में सबसे लंबा चंद्रग्रहण (1 घंटा 18 मिनट) दिखाई देगा तथा शिलांग में यह ग्रहण 1 घंटा 5 मिनट तक दिखाई देगा। भारत के अन्य शहरों जैसे- जबलपुर, नागपुर, दिल्ली, भोपाल, चेन्नई, कलकत्ता, गया, आगरा, पटना, हरिद्वार, इलाहबाद, बद्रीनाथ, बनारस, मथुरा, कानपुर, मेरठ, लखनऊ, पांडुचेरी, पुरी, रायपुर, रांची, कटनी, सतना आदि में थोड़ी देर ही दिखाई देगा। देश के पश्चिमी भाग गुजरात, राजस्थान आदि में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। भारत के अलावा यह ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, पेसिफिक महासागर आदि स्थानों पर दिखाई देगा।
ग्रहण व सूतक का समय
भारतीय समय के अनुसार मंगलवार की रात दूसरे पहर 2.50 बजे के बाद सूतक की पहली अवस्था दिखी। इसके बाद सुबह 4.58 बजे सूतक की मुख्य अवस्था हुई। इस दृष्टि से ग्रहण का सूतक 9 से 10 घंटे के बीच रहेगा, लेकिन चंद्रग्रहण का स्पर्श बुधवार दोपहर 2.41 से आरंभ होकर शाम 06.04 बजे समाप्त होगा।
भोजन करना निषिद्ध
हिंदु धर्म के अनुसार ग्रहण के दौरान भोजन करने को निषिद्ध माना गया है। यह परंपरा हमारे यहां आज से ही नही ऋषि-मुनियों के समय से ही चली आ रही है। हमारे धर्म शास्त्रों में सूर्य ग्रहण लगने के समय भोजन के लिए मना किया है, क्योंकि मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते है। खाद्य वस्तु, जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं।
इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसके कारण इस समय किया गया भोजन अपच, अजीर्ण आदि शिकायतें पैदा कर शारीरिक या मानसिक हानि पहुंचा सकता है। इसीलिए हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि चंद्र ग्रहण लगने से दस घंटे पूर्व से ही इसका कुप्रभाव शुरू हो जाता है। अंतरिक्षीय प्रदूषण के समय को सूतक काल कहा गया है। इसलिए सूतक काल और ग्रहण के समय में भोजन तथा पेय पदाथरें के सेवन की मनाही की गई है। साथ ही इस समय मंत्र जप व पूजा-पाठ व दान पुण्य आदि करने के बाद भोजन करने का नियम बनाया गया है।
चंद्र ग्रहण द्रोणनगरी में 12 मिनट तक रहेगा
आश्रि्वन शुक्ल पूर्णिमा को होने वाला खग्रास चंद्र ग्रहण द्रोणनगरी में 12 मिनट तक रहेगा। चंद्रग्रहण रेवती नक्षत्र एवं मीन राशि में घटित होगा। इस राशि नक्षत्र वालों के साथ गर्भवती महिलाओं को यथाशक्ति जाप और पाठ करना अच्छा रहेगा।
उधर, 24 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण है, लेकिन यह भारत में नहीं दिखेगा। हालांकि, इसका आंशिक असर होगा। सूर्य ग्रहण तुला राशि में घटित होगा।
आचार्य सुशांत राज ने बताया कि दून में चंद्र ग्रहण शाम 5 बजकर 52 मिनट से छह बजकर चार मिनट तक रहेगा। चंद्रमा दिखने से सुबह पांच बजकर 50 मिनट से सूतक शुरू हो गया। हालांकि, चंद्र ग्रहण दोपहर दो बजकर 54 मिनट से शुरू हो गया। आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया कि सूर्य ग्रहण चार बजकर 30 मिनट से 49 मिनट तक रहेगा। लेकिन, यह भारत में नहीं दिखेगा।
मेष- हलवा, गुड का दान करें
वृष-दूध दान करें
मिथुन-अन्न और हरी सब्जी का दान करें
कर्क- दूध आदि का दान करें
सिंह- मीठी चीजों का दान करें कन्या-हरी वस्तुओं का दान करें
तुला- दूध और दही का दान करें वृश्चिक-पीले गुड़ का दान करें
धनु-हल्दी और गुड का दान करें मकर व कुंभ-तिल और उड़द का दान करें
मीन- हल्दी और गुड़ का दान करें (आचार्य संतोष खंडूड़ी के अनुसार) इन मंत्रों का करें जाप - श्रं श्रौं स: चंद्रमसे नम:, - ऊं सों सोमाय नम:
ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण
आज आठ अक्टूबर बुधवार का चंद्रग्रहण मीन राशि पर होने जा रहा है जो भारत में दृश्य होगा। इसकी विशेषता यह होगी कि भारत में चंद्रोदय से पूर्व ही चंद्रग्रहण युक्त होगा। इसलिये इसे ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण कहा गया है।
धर्माचार्य डॉ. शक्तिधर शर्मा शास्त्री ने बताया कि मीन राशि वालों के लिये यह अशुभ फल देने वाला होगा। इसलिये मीन राशि वालों को चंद्र और बृहस्पति का दान, जाप आदि करना शुभ होगा। बताया कि ग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पूर्व सूतक काल शुरू हो गया है। भारत में मुख्यत: चंद्रोदय के समय ग्रहण की समाप्ति देखी जा सकेगी।
धर्माचार्य ने बताया कि भारत में दिखाई देने वाला केवल यही ग्रहण होगा। 23 अक्टूबर को होने वाला सूर्यग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा।
ग्रहण का समय
स्पर्श - दोपहर 2.44 बजे
खग्रास प्रारंभ- 3.55 बजे
ग्रहण मध्यकाल- 4.24 बजे
खग्रास समाप्त- 4.54 बजे
ग्रहण मोक्ष- शाम 18.04 बजे
चंद्रग्रहण के दौरान बंद रहेंगे तीन धाम के कपाट
देहरादून- बुधवार को चंद्रग्रहण के दौरान बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। हालांकि केदारनाथ के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे, लेकिन श्रद्धालु पूरे दिन मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे, उन्हें बाबा केदार के दर्शन बाहर से ही करने होंगे।
बदरी-केदार मंदिर समिति के कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि सूतक के चलते बदरीनाथ मंदिर के कपाट सुबह 8.45 बजे बंद कर दिए गय। उन्होंने बताया कि सांय 6.05 मिनट पर सूतक समाप्त होने के बाद मंदिर के शुद्धिकरण के पश्चात कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद प्रतिदिन की भांति भगवान का अभिषेक और नित्य पूजा होगी। दूसरी ओर केदारनाथ मंदिर में श्रद्धालु बाहर से ही बाबा के दर्शन करेंगे।
पंरपरा के अनुसार इस दौरान कपाट बंद नहीं होंगे। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष बागेश्वर सेमवाल ने बताया कि चंद्रग्रहण के कारण गंगोत्री व यमुनोत्री मंदिरों के दोपहर बाद 2.10 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद कपाट शुद्धिकरण के बाद शाम को ही खोले जाएंगे। सायंकाल दैनिक पूजा नियमानुसार की जाएगी।