Special Shradh Puja in Haridwar

Sunday 12 October 2014

कार्तिक माह में ऐसे पाएं हरिकृपा


धर्मशास्त्रों में प्रत्येक ऋतु और महीनों का अपना विशेष महत्व बताया गया है। तुला राशि पर सूर्यनारायण के आते ही कार्तिक मास प्रारंभ हो जाता है। कार्तिक का माहात्म्य पद्मपुराण तथा स्कंदपुराण में बहुत विस्तार से बताया गया है। इस बार आठ अक्‍टूबर से कार्तिक मास शुरू हो रहा है।
धर्म ग्रंथों में कार्तिक मास के बारे में वर्णन है कि यह माह स्नान, तप व व्रत के लिए सर्वोत्तम है। इस माह में दान, स्नान, तुलसी पूजन तथा नारायण पूजन का अत्यधिक महत्व है। कार्तिक माह की विशेषता का वर्णन स्कन्द पुराण में भी दिया गया है।
स्कन्द पुराण में लिखा है कि सभी मासों में कार्तिक मास, देवताओं में विष्णु भगवान, तीर्थों में नारायण तीर्थ (बद्रीनारायण) शुभ हैं। कलियुग में, जो इनकी पूजा करेगा वह पुण्यों को प्राप्त करेगा। पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक मास धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष देने वाला है।
कार्तिक माह में दीपदान करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस माह भगवान विष्णु चार माह की अपनी योगनिद्रा से जागते हैं। विष्णु जी को निद्रा से जगाने के लिए महिलाएं विष्णु जी पूजा दीपदान तथा मंगलदान करती हैं। इस माह में दीपदान करने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में छाया अंधकार दूर होता है। व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है।
पदमपुराण के अनुसार व्यक्ति को अपनी सामर्थ्यानुसार कार्तिक में शुद्ध घी अथवा तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस माह में जो व्यक्ति घी या तेल का दीया जलाता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फलों की प्राप्ति होती है। मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
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