देवगुरु बृहस्पति 9 एवं 10 जुलाई 2014 को रात 01ः42 मिनट पर अस्त हो रह हैं तथा 8 एवं 9 अगस्त 2014 को पुनः रात्रि के 1ः16 मिनट पर उदय हो रहे हैं। अर्थात 10 जुलाई से 8 अगस्त तक ये अस्त रहेंगे। ऐसे में जिनकी कुंडली में बृहस्पति पंचम, नवम या लग्न से सम्बन्ध रखते हैं उन्हे अपने अध्ययन और स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा।
आपकी आध्यतम में रुचि कम हो सकती है तथा स्वार्थ की भावना जाग सकती है। प्रेम संबंध एवं संतान को लेकर भी चिंताएॅं सता सकती हैं।
तीसरे, नवम या एकादष भाव में बृहस्पति का संबंध लाभकारी यात्राओं में बाधाएॅं खड़ी कर सकता है। छठे एवं बारहवें भाव से संबंध होने पर कानूनी अड़चने, स्वास्थ्य पीड़ा एवं दूर की यात्राओं में भय पैदा हो सकता है। सप्तम भाव में संबंध होने पर दैनिक रोजगार में परेषानीयों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ भी कुछ मतभेद उभर सकते हैं। आठवें भाव में संबंध रखने पर धन का ख्याल रखने की जरुरत है। चतुर्थ एवं दषम भाव में संबंध रखने पर कार्यस्थल एवं घरेलू मामलों में सामंजस्य बिठाने में परेषानी हो सकती है।
बृहस्पति के अस्त होने के कारण सभी मांगलिक कार्यों की मनाही रहेगी।
मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा भी नहीं होगी तथा नए प्रतिष्ठानों का उद्घाटन भी नहीं हो सकेगा।
राषि के अनुसार बृहस्पति के अस्त होने का प्रभाव -
मेष
नवमेष एवं द्वादषेष होकर गुरु आपके चतुर्थ भाव में अस्त हो रहा है। इस अवधि में आप किसी दूर की यात्रा या विदेष से सम्बन्धित किसी काम को षुरु करने का सोच रहे हैं तो फिलहाल कुछ समय के लिए इस टाल देवें। कामकाज में आपको कोई परेषानी नहीं होगी। घरेलु मामलों में थोड़े चिंतित रह सकते हैं।
वृषभ
अष्टमेष एवं लाभेष होकर गुरु आपके तीसरे भाव में अस्त हो रहा है। इस अवधि में आपको कोई विषेष नुकसान नहीं होगा। धैर्य के साथ अपना कार्य करते रहें। पड़ोसियों से संबंध मधुर रखें। लाभ मिलने में थोड़ा वक्त लग सकता है। परन्तु सर्ब का फल मीठा होगा।
मिथुन
बृहस्पति आपके कर्म स्थान एवं सप्तम स्थान का स्वामी होकर धन भाव में अस्त हो रहा है। आपको आर्थिक मामलों में सावधानी एवं समझदारी के साथ काम लेना होगा। साझेदार एवं जीवनसाथी के साथ कोई मतभेद भी उभर सकता है। धैर्य के साथ आगे बढ़ें सफलता मिलेगी।
कर्क
भाग्येष एवं षष्ठेष होकर गुरु आपके प्रथम भाव में अस्त हो रहा है। यह समय सेहत का ख्याल रखने का है। बेवजह किसी से विवाद में ना उलझें। अगर आप किसी दूर की यात्रा पर जा रहे हैं तो थोड़ा रुक लेना ठीक रहेगा। धार्मिक कार्य में संलग्न होने के लिए समय पक्ष में नहीं है।
सिंह
गुरु अष्टमेष एवं पंचमेष होकर बारहवें भाव में अस्त है। यह समय आपको किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं करेगा। परन्तु आपको फिजूल खर्च से बचना होगा। आपके षत्रु कमजोर होगे तथा मित्रों के साथ चल रहे मनमुटाव भी दूर होगा। संतान को लेकर आपके मन में कुछ चिंताएॅं आ सकती हैं।
कन्या
सप्तमेष एवं चतुर्थेष होकर बृहस्पति आपके लाभ भाव में अस्त हो रहा है। इस समय घर एवं वाहन खरीदने की योजना में बाधाएॅं आ सकती हैं। नए व्यापार को भी अभी रोक देना ठीक रहेगा। जीवनसाथी एवं साझेदार के साथ मतभेद से बचें।
तुला
बृहस्पति छठे एवं तीसरे भाव का स्वामी है तथा यह आपके कर्म स्थान पर अस्त होगा। इस कारण यात्राओं में अडचने आ सकती हैं। कानूनी एवं स्वास्थय संबंधी परेषानीयाॅं भी सामने आ सकती हैं। कार्य एवं घरेलू जीवन में सामंजस्य बिठाने का प्रयास करें।
वृष्चिक
बृहस्पति आपके पंचमेंष एवं द्वितीयेष का स्वामी है तथा यह भाग्य स्थान पर अस्त होगा। इस कारण आपको अपने अध्ययन एवं सेहत के प्रति सावचेत रहना होगा। आपकी आध्यात्मि कार्य में रुचि कम हो सकती है। स्वार्थ की भावना पनप सकती है। प्रेम संबंध या संतान को लेकर चिंतित हो सकते हैं।
धनु
बृहस्पति लग्नराषि एवं चतुर्थ भाव के स्वामी है तथा यह आपके आठवें भाव में अस्त होगें। इस समय आपके अपने खान पान का खास ख्याल रखना होगा। भगवान के प्रति अपनी आस्ता का कम ना होने देवें। घरेलू जीवन के बारे में चिंतन करें। वाहन सावधानी से चलाएॅं। आर्थिक मामलों में सावधानी से काम लेवें।
मकर
बृहस्पति आपके द्वादेष एवं तृतीयेष भाव में है तथा यह सप्तम भाव में अस्त हो रहा है। यह समय आपके लिए अधिकांष मामलों में लाभदायक रहेगा। फिजूल के खर्चे दूर होंगे। व्यर्थ की यात्राओं से भी मुक्ति मिलेगी। जीवनसाथी को अपनी किसी बात से नाराज ना करें।
कुम्भ
बृहस्पति आपके लाभेष एवं धनेष में है तथा यह छठे स्थान पर अस्त होगा। इस समय आपको आर्थिक मामलों में सावधानी बरतने की जरुरत है। अपनी वस्तुओं का ध्यान रखें क्योंकि इस अवधि में सामान चोरी होने का खतरा भी हो सकता है।
मीन
बृहस्पति आपके लग्नेष एवं कर्म स्थान का स्वामी है तथा यह आपके पंचम भाव में अस्त होगा। इस समय आपको अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा। अन्यथा आप अपने कार्य को ठीक से नहीं कर पाएॅंगे। संतान एवं प्रियजन को लेकर भी मन अषांत रह सकता है।
विषेष कथन
परेषानी की स्थिति में निम्न में से कोई भी उपाय कर सकते हैं -
पीपल एवं केले के वृक्ष में रोज जल चढ़ाएॅं
श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
अपने आचरण में षुद्धता रखें
हमेषा सत्य वचन बोलें
Source: www.aapkikundli.com
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